लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सूर घनाक्षरी विधान,२- हिन्दी हमारी शान 3- शिक्षक समाज का दर्पण, 4-श्रद्धेयभ

भाग १० हिन्दी दिवस प्रतियोगिता

व्यंजन वर्णावली

कनक कामिनी खिलत गज गामिनी सी घिरत,
चलत है  छुनक छुनक ज्योति जले झमझमात
टुकर टुकर ठमकत सी डण्ड बाजे ढोलक सी,
तन थिरकत दिल धड़कत नृत्य करें हंसियात।

प्यार में फरकत बाम अंग भूषण मझियात,
यार की रार लाल वंदन सी प्रीत चमचमात।
शुलभ षोडश श्रंगार देख साजन  हंसियात,
क्षमाशील त्रयी  ज्ञानवान 'अलका' बतियात।

श्रवन जैसा पुत्र श्रेष्ठ कुल में जीव जगमगात,
ऋतुओं के राज ऋतुराज आके धरा हरियात।
ठुमक चले गज गामिनी गदराई सी फुलियात,
तन थिरकत दिल धड़कत नृत्य करें हंसियात।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' 
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।





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9 Comments

Palak chopra

12-Sep-2022 08:31 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Achha likha hai 💐

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जी बहुत ही खूबसूरत रचना अप्रतिम।

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